Monday, March 28, 2011

हमारा धर्म सबसे महान

-महावीर सांगलीकर


यह एक स्वाभाविक बात है कि हम जिस देश, राज्य, जिले, शहर या गांव, उसकी गली में पैदा होते है, उससे हमें विशेष लगाव होता है. धर्म के बारे में भी ऐसीही बात होती है.

हमें अपना धर्म प्यारा लगता है क्यों
कि हम उस धर्म में पैदा हुए हैं. अगर आप एक हिंदू घर में पैदा हुए हैं, तो आपके लिये हिंदू धर्म दुनिया का सबसे अच्छा, सबसे महान धर्म होता है. आप मानते है कि हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है. बाकी सारे धर्म आपके लिये तुच्छ हो जाते है. आप इस प्रकार सोचते है क्यों कि आपको बचपन से ही ऐसा सिखाया गया है. आपके माँ-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी इन्होने आप पर ऐसे ही संस्कार किये है. फिर आगे चलकर कई सारे हिंदुत्ववादी आपको बताने लगते है मुसलमान ऐसे होते है, इसाई वैसे होते है, जैनियों का कुछ मत पढो, बौद्ध धर्म के कारण हमारे देश का पतन हो गया वगैराह वगैराह. फिर आप दुसरे सारे धर्मों से नफरत करना शुरू कर देते है.

अब मान
लीजिये कि आप एक हिंदू घर के बजाय किसी मुस्लिम घर में पैदा हुए होते. ऐसी हालात में आपके हिन्दू और इस्लाम धर्म के बारे में विचार बिलकुल अलग होते. आप मानते की हिन्दू काफीर होते है. आप ऐसा मानते क्यों की आपको ऐसाही सिखाया गया था.

कौन से धर्म में पैदा होना है यह बात अपने हाथ में नहीं होती. लेकिन अलग-अलग धर्मो का तुलनात्मक अध्ययन करना आपके हाथ में होता है. अगर आप अपना धर्म सचमुच महान है या नहीं यह देखने के लिए दुसरे धर्मो का अध्ययन करते है, फिर तुलना करते है, तो आपको पता चलेगा की हर एक धर्म में कई अच्छी और कई बुरी बाते है. कई समानताएं है. सबसे बडी समानता यह है की सब धर्म दुसरे धर्मों को झूठा साबीत करने की कोशीश करते है. कई ऐसी बातें भी होती है जो हमें अच्छी लगेगी और कई ऐसी भी बातें है जिन्हें हम मानही नहीं सकते. लेकिन लोग दुसरे धर्मों के बारे में बिल्कुल जानना नही चाहते. उनका साहित्य नहीं पढना चाहते.
क्यो कि ऐसा करने से उनके विचारो में बदलाव सकता है. इसमें उन्हे बडा खतरा लगता हैं.

यह सिर्फ हिन्दू या मुसलमानों की बात नहीं है. जैनियों की मानसिकता भी ऐसी ही है. वे सोचते है की उनका धर्म सब से महान है और वही एक धर्म है जो विश्व धर्म बन सकता है. मजे की बात यह है की वह धर्म मुट्ठीभर लोगों की बपौती बनकर रह गया है. और बौद्धों का क्या कहना? जिस प्रकार मुस्लिम लोग पुरी दुनिया को इस्लाम का अनुयायी बनाना चाहते है, उसी प्रकार भारत के बौद्ध लोग सारा भारत बुद्धमय बनाना चाहते है. मैं ने देखा है की बौद्ध धर्म के कई अनुयायी दूसरे धर्मों से नफरत करते है.

किसी पत्रिका में प्रकाशित मेरा एक लेख पढ़कर मुझे एक साधू ने बुलावा भेजा. वह साधू किस धर्म से था यह बताना जरुरी नहीं है. लेकीन उसका बडा नाम था और उसके
देश भर में लाखों अनुयायी थे. आप मान सकते है कि वह आपके ही धर्म का साधू था. या फिर एक फादर या मौलवी था. मैं गया उसके पास तो उसने कहा, आपने धर्म के खिलाफ बहुत सारी बाते लिखी है. मैंने कहा, लेकिन उसमें गलत क्या लिखा है? आप साबीत कीजिए. उसने कहा की आपकी सब बाते सही हैं. हमारे यहां बहोत कुछ गलत चल रहा है. मै मानता हूं की हमारे शास्त्रों में लिखी हुई कई बाते गलत है. हमारा धर्म सबसे महान है ऐसा मैं नही कह सकता. मैंने कहा, फिर आप लोगों के सामने यह बोलते क्यों नहीं? इसपर उसने जो जवाब दिया उसपर चिंतन करने की जरुरत है. उसने कहा की मैं ऐसा सबके सामने बोल नहीं सकता. ऐसा लिख भी नही सकता. अगर मैंने ऐसा किया तो यह लोग मुझे धर्मद्रोही घोषित करेंगे. लोगों को सच्चाई नहीं चाहिए. उनको शास्त्रों में लिखा हुआ झूठ ही पसंद आता है. और मैं सिस्टम को तोडना नहीं चाहता. जैसा चल रहा है वैसाही चलते रहेगा. तुम तुम्हारा काम करते रहो, मैं मेरा काम करता रहूंगा. तुम्हारा काम भी जरुरी है.

मै उस साधू की मजबुरी को
समझ सकता हू. अगर उसने सच उजागर कर दिया तो समझो कि वह कहीं का नहीं रहेगा.

किसी ने कहा भी है, कि सच क्या है जान लो, उसे मान भी लो, लेकिन दुसरों को अगर सच पसंद नहीं, तो उन्हें झूठी बातों से ही बहलाओ.
अनेक सारे साधू यही कर रहे हैं. उन्ही को ज्ञानी कहते हैं.



2 comments:

  1. kya baat he sir .... aapko padkar aachrya rajnish ki yaad gayi

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  2. सर जी , आपने बेहद मार्मिक सच्चाई लिखी है

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