Sunday, May 1, 2011

सच्चे जैन मुनि की खोज में

-महावीर सांगलीकर



मेरा एक दोस्त है. वह पिछले कई सालों से किसी जैन मुनि से मिलना चाहता था. किसी सच्चे जैन मुनि से. जब उसने मुझ से पूछा था की क्या तुम किसी सच्चे जैन मुनि को जानते हो? तब मैंने कहा था की नहीं, इस काल में सच्चा जैन मुनि मिलना नामुमकीन है. यह मैं नहीं कहता, बल्की जैनियों के शास्त्रों में लिखा है. वैसे जैन लोग शास्त्र में लिखी हुई हर बात को पत्थर की लकीर मानते है, लेकिन इन तथाकथित जैन मुनियों ने न जाने क्या जादू कर दिया है कि जैनियों ने शास्त्र वचन को भी ठुकरा दिया है, और वे इन तथाकथित मुनियों के अंधभक्त बनकर उनके पीछे-पीछे घुमते रहते है. खैर, मेरी बात न मानो, खोजते रहो, और कोई सच्चा जैन मुनि मिले तुम्हे, तो मुझे भी बताओं. मैं भी बरसों से उसी खोज में हूँ .

यह घटना लगभग १५ साल पुरानी है. मेरा वह दोस्त महाराष्ट्र छोड़कर किसी दूसरे प्रदेश चला गया. बाद में उससे कोई संपर्क भी नहीं हो सका. लेकिन पिछले महिने मैं एक जैन कॉन्फरन्स भाग लेने हेतु दिल्ली गया था, तब अचानक उससे फिर मुलाखात हो गई. वह दिल्ली के पास ही एक अनाथाश्रम चलाता था, और दूसरी अनेक समाजोपयोगी संस्थाओं से भी जुडा हुआ था.

मुझे वह सच्चे मुनियों वाली बात याद आ गयी. मैं ने उसे पूछा, बताओ दोस्त, क्या तुम्हे कोई सच्चा जैन मुनि मिला? वह मुस्कुराकर कहने लगा, तुम सच कहते थे यार,
इस काल में सच्चा जैन मुनि मिलना नामुमकीन है. फिर भी मैं धुंडता रहा पागलों की तरह. लेकिन कुछ फ़ायदा नहीं हुआ अब तो मैं उन तथाकथित मुनियों की ऑर देखता तक नहीं.

क्यों? ऐसा क्या हो गया? मैं ने उससे पूछा.

अरे क्या बताऊँ पहली बात तो यह है की ये मुनि दिगंबर होते है या श्वेतांबर, या फिर स्थानकवासी या तेरापंथी. मुझे उनसे क्या लेना देना? मै तो सिर्फ जैन मुनि धुंड रहा था लेकिन एक भी नहीं मिला. सब अपने अपने पंथ चला रहे है, जैन धर्म से किसी को कुछ लेना देना नहीं है.

मैं ने मुस्कुराकर कहा, अरे ऐसा मत कहो. मुनि निंदा करना बड़ा पाप है, ऐसा जैनी कहते हैं.

देखो दोस्त, वह गंभीर हो कर बोला, तुम तो जानते हो कि इन मुनियों ने अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए कई हथकंडे अपनाए हैं. मुनि निंदा को पाप करार देना यह ऐसी ही एक चाल है, ता कि लोग मुनियों के खिलाफ कुछ न बोले. रही मेरी बात, मै तो इनको मुनि ही नहीं मानता, तो इसे कोई मुनि निंदा कैसे कह सकता है? और आज मैं जो कुछ कह रहा हूँ, बरसों पहले से तुम कहते रहे हो.......

उस दिन मुझे पहली बार महसूस हुआ कि मै अकेला नहीं हूँ.

4 comments:

  1. 1.wo jain muni hai jo hinsa nanhi karta. 2.wo jain muni hai jo jhooth nanhi bolta 3.wo jain muni hai jo chori nanhi karta. 4.wo jain muni hai jo abhrmma ka sevan nanhi karta. 5.wo jain muni hai jo parigrha nanhi karta. kanti lal,312,parvatinandan kripa,ujala circle AHMEDABAD.

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  2. अगर जैन मुनि की यही पहचान है जो आपने बताई है तो इसके अनुसार तो वर्तमान में एक भी जैन मु-िन्ा नही है

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  3. Mahavirji aap ho sakte hai sahi ho ....bt sab jain muni ke baare mein aisa mat kahiye......aapko ek jain muni ka naam bata rahe hai....Netra Jyoti Pradata Shri Jayantilalji M.S.....wo iss kaal ke chalte phirte bhagwan hai.....sab jain sant shradha se unko dekhte hai......jharkhand ki adivasi praja ki khud apne haato se seva karte hai.....aaj 92 saal ki umar mein bhi wo wo garibo ki niswath seva kar rahe last 45 saal se.....apna pura jivan daridro ko samarprit kar diya......his aashram is at Peterbar near Bokaro, Jharkhand

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  4. महोदय, अपने ही समाज के विरुद्ध क्रांति का बिगुल फूंकना वाकई बहुत कठिन होता है, पर आपने पूरे साहस के साथ यह किया है, मुझे भी जैन समाज की कई बातें बुरी लगती हैं जिसमें सबसे बुरी है बोली प्रथा जिसमें हर धार्मिक आयोजन को बोली की वेदी पर ही तोला जाता है, क्या आपने इसके बारे में कुछ लिखा है यदि हां तो प्लीज शेयर करें, क्या मैं आपका फोन नंबर या मेल आईडी ले सकता हूँ??

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